खुद में खो कर खुद की तलाश जरूरी है,
जिंदगी है छोटी खुद से मुलाकात जरूरी है l
बहुत कर ली अब मैने दुनिया से गुफ्तगू
खुद से भी बातें करना अब जरूरी है l
सुकून की तलाश में दर-दर मैं भटका
खुद में भटक कर सुकून पाना अब जरूरी है l
बहुत कोशिश कर ली दुनिया निखारने की
खुद को भी निखारना अब जरूरी है l
दुनिया से कर ली बहुत दोस्ती मैंने
खुद से भी दोस्ती करना अब जरूरी है l
दूसरों को दे दी बहुत नसीहतें मैंने
खुद को भी नसीहत देना अब जरूरी है l
दूसरों की खातिर जिलिया अब बहुत मैं
खुद के लिए भी अब जीना जरूरी है l
-© Sachin Kumar
बहुत सुंदर रचना है, बहुत अच्छा लिखते हैं आप आदरणीय सर शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएं