शनिवार, 16 दिसंबर 2023

उन्मुक्त उसका प्रेम


 मुक होकर भी उन्मुक्त

उसका प्रेम है

अपलक निहारते ही 

खुशियों की तरंग

स्पंदित कर जाती है, 

निस्वार्थपुर्ण उसका सारा जीवन

इस धरा पर तू ही 

तो है जीवन का हस्ताक्षर

सासों से है तुमसे हमारा है नाता

तेरे बिना जीव जगत की 

कल्पना ही नहीं हो सकती 

कैसे कोई करे परिभाषित

तेरे अलौकिक दिव्यता से 

भरे निष्कपट प्रेम को,

मेरे प्रिय मित्र 

मेरे पेड़ - पौधे !


       -© Sachin Kumar 





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