रविवार, 10 मई 2020

मेरे राम

 मेरे राम 

भोर की पहली किरण हो तुम
सुबह की शुरुआत राम-राम से
हृदय की असीम गहराइयों में
तुम ही तो बसे हो 
मेरे राम
प्रेम तुम ही हो 
अनुराग तुम ही हो 
मेरे राम
जीवन की बस एक अभिलाषा
राम मय हो सारा जीवन
मेरे राम
अब कहां ???
आ_राम तेरे बिना 
मेरे राम !!!

      -© सचिन कुमार 🖋
 

Picture credit :printerest 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

उन्मुक्त उसका प्रेम

 मुक होकर भी उन्मुक्त उसका प्रेम है अपलक निहारते ही  खुशियों की तरंग स्पंदित कर जाती है,  निस्वार्थपुर्ण उसका सारा जीवन इस धरा पर तू ही  तो ...