सोमवार, 11 दिसंबर 2023

मैं भरी दुपहरी का तपिश


 मैं भरी दुपहरी का तपिश,

तुम हो बारिश की बूँद प्रिये ll


मैं हूँ खार जल सा खारा,

तुम हो अमृत का कलश  प्रिये ll


मैं हूँ राह में पड़ा पत्थर ,

तुम हो बगिया का फूल प्रिये ll


मैं इक कलम का स्याही हूँ,

तुम हो ढाई आखर प्रेम प्रिये ll


अजब अनोखा अपना मिलन

ईश्वर का ही है खेल प्रिये ll


               -© सचिन कुमार ....🖋



picture credits - Self













 






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