कभी मन में उठे प्रेम तरंग,
कभी मन में उठता क्रोध ज्वार,
कभी मन विद्रोही हो जाए,
कभी मन दया में द्रवित हो,
कभी मन में अहंकार का भाव जगे,
कभी मन प्रफुल्लित हो जाए,
कभी मन में उपजे दिव्य ज्ञान,
कमी मन ये बुने गीत काव्य,
कभी मन कुंठा से भर जाए,
कभी मन हो जाए बावरा,
कभी मन ही मन को समझाए,
कभी मन ही मन से बात करें,
कभी मन विचलित हो जाए,
कभी मन अतीत में खो जाए,
कभी मन जल सा निर्मल हो,
कभी मन भाव विभोर हो जाए,
कभी मन ईश्वर में लीन भायो,
कभी मन श्रद्धा में नमन करें,
कभी मन अनंत में विचरण करें,
कभी मन चिर शांति में लीन रहे,
कभी मन में गहरे राज छिपे,
कभी मन प्रकृति में रमन करें,
कभी मन भविष्य की चिंता में व्याकुल हो जाए,
संपूर्ण धरा मन का ही सृजन,
जो इस चंचल मन को रखे काबू में,
वही विजेता कहलाए....!!!
-© Sachin Kumar ✒
#मन
#चंचल
-©Sachin Kumar ✒
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