उसका प्रेम है
अपलक निहारते ही
खुशियों की तरंग
स्पंदित कर जाती है,
निस्वार्थपुर्ण उसका सारा जीवन
इस धरा पर तू ही
तो है जीवन का हस्ताक्षर
सासों से है तुमसे हमारा है नाता
तेरे बिना जीव जगत की
कल्पना ही नहीं हो सकती
कैसे कोई करे परिभाषित
तेरे अलौकिक दिव्यता से
भरे निष्कपट प्रेम को,
मेरे प्रिय मित्र
मेरे पेड़ - पौधे !
-© Sachin Kumar