मन के दर्पण में तलसता
कहाँ छुपा बैठा हैं मेरे घनश्याम
नश्वर जीवन की अनंत यात्रा के
तुम ही एक सच्चा साथी हो
मुझ में तुम हो, तुम में मैं हूँ
पर तेरी लीला तुम ही जानो
मुझे नहीं इससे कोई काम
बस एक मात्र विनय तु सुनले मेरी
इस जीवन के सत्य का बोध करा दे
जीवन के इस गूढ रहस्य का
अमृत पान करा तु प्रभु जी मेरे
सारे भ्रम जाल मिटा दे ...!
-© Sachin Kumar
picture credit: Pinterest
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